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बहुत दूर निकल गया हूँ
घर का रस्ता भूल गया हूँ
बहुत दूर …
छत चौबारे संकरी गलियाँ
नीम के पेड़ की निम्बोलियाँ
पीपल की छाँव गेहूं की बालियाँ
भूल भुलैईया में भूल गया हूँ
बहुत दूर …
मिटटी की खुशबू गन्ने का खेत
फिरकी चकरी कुश्ती लमलेट
बेफ़िक्री की कुदान बोली में ठेठ
भागदौड़ में सबकुछ भूल गया हूँ
बहुत दूर …
वो कच्ची पगड्ण्डीयों पे चलना
वो डोल पर लापरवाह सा बैठना
वो देर रात गाँव का फेरा लगाना
शहर के नक़्शेक़दम में भूल गया हूँ
बहुत दूर …
#सारस्वत
10042014
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