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दिलों के बीच ... नफरत का ज़हर बोने वालो
बू - खुशबू ऐ मोहब्बत ... फैलाओ तो जाने
गंजी आँखों में ख़ंजर ... तोबा शिकन तुम्हारे
कभी , काज़ल ख़्याल का ... लगाओ तो जाने
जलाकर कंदील ... साज़िश , नई रोज़ करने वालो
महफ़िल , कभी मोहब्बत की ... सजाओ तो जाने
फिर वही !! वफ़ा के नाम पर , बेवफ़ा की बातें
कभी क़िस्सा ऐ एतबार ... सुनाओ तो जाने
जब से देखा है ... चाहत की ताड़ी पिये बैठा हूँ
आशिक़ हूँ , गैर नहीं ... गले से लगाओ तो जाने
#सारस्वत
18072017
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