शुक्रवार, 21 दिसंबर 2018

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दिलों के बीच ... नफरत का ज़हर बोने वालो  
बू - खुशबू ऐ मोहब्बत  ... फैलाओ तो जाने 
गंजी आँखों में ख़ंजर  ... तोबा शिकन तुम्हारे 
कभी , काज़ल ख़्याल का ... लगाओ तो जाने 
जलाकर कंदील ... साज़िश , नई रोज़ करने वालो 
महफ़िल , कभी मोहब्बत की ... सजाओ तो जाने  
फिर वही !! वफ़ा के नाम पर , बेवफ़ा की बातें 
कभी क़िस्सा ऐ एतबार  ... सुनाओ तो जाने 
जब से देखा है  ... चाहत की ताड़ी पिये बैठा हूँ 
आशिक़ हूँ , गैर नहीं ... गले से लगाओ तो जाने
#सारस्वत 
18072017

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