जिंदगी का हिसाब मेरी शायरी
शनिवार, 29 दिसंबर 2018
# उसने पूछा ... अब क्यों लाईन में खड़ा है शहर मैंने कहा ... ये सत्ता बदल के बाद का है कहर उसने पूछा ... क्या ? चौकीदार चौर था यहां भी अजी नहीं ... अफ़वाह पे फ़िदा हो गया था शहर
#सारस्वत
29122018
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