रविवार, 23 मार्च 2014

शुभदिनसुन्दरहो

















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हे मनुष्य
आंसुओं की आवाज क़मजोर बना देती है 
तू मुझसे दया की भीख नहीं शक्ति मांग.
हे विदवान ! 
तू अपना कर्म कर......... परमाण के साथ
बाक़ी......सब मुझ पर छोड़ दे परिणाम के साथ
जैसे.....
सरग़म की आवाज भी सुनाई दे जाती है
जैसे.....
अनुराग का भाव भी दिख़ाई दे जाता है
वैसे .....
एक बालक दौड़ लगा कर अपने पिता की गोद में चढ़ जाता है
फिर आना.....
कर्मशील ऊष्मा से भरपूर ख़ुद पर से भरोसा
मनोभाव के साथ
मन क़ी बातो के साथ
#सारसवत

24032014

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