शनिवार, 22 मार्च 2014

छुपा है चाँद तो

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छुपा है चाँद तो नजर आ ही जायेगा
आखिर कब तलक वो दूर रैह पायेगा
छुपा है चाँद तो  ....
मर कर भी ज़िंदा हो जाये वही इश्क
ज़िंदा रैहन को झोली फैला के आएगा
प्यार के आसमान में बिखरी है खुशबु
कौन है जो इस कैद से बचा रैह जायेगा
छुपा है चाँद तो  ....
गरूर ऐ इश्क बाज़ार में बिकता नहीं
फासला कितना भी हो लौट के आएगा
यादे समंदर में डुबकियां ना लगा ऐसे
दिल का दरवाजा सुबकता रैह जायेगा
छुपा है चाँद तो  ....
सजाया है सांसों ने यूँ बंदगी की तरहा
जिंदगी की सजा को दिल ही सजायेगा
पैमाने से भरी दोनों आँखों की कसम
ज़माना भी ये मंज़र देखता रैह जायेगा
छुपा है चाँद तो  ....
#सारस्वत
04122013 

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