गुरुवार, 17 दिसंबर 2015

यही काफी है मेरे लिए ...

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उसूलों ने साथ निभाया , यही काफी है मेरे लिए
पहचान खुद की बचा लाया , यही काफी है मेरे लिए

मुट्ठी भर आसमान 'वो भी , फिसलता जा रहा था
उम्मीदें कुछ बचा लाया , यही काफी है मेरे लिए

क़दमों के नीचे से ज़मीन , खिसकती जा रही थी
बुनियाद ही बचा पाया , यही काफी है मेरे लिए

अपनों ने जब देखा था , हिकारत की नजर से
एक चिराग रोशनी लाया , यही काफी है मेरे लिए

बेईमानो की बेमानी सी , इस दोरंगी दुनियाँ से
ईमान बचा ले आया , यही काफी है मेरे लिए

इंसान का इंसान होना , अब गुनाह सा हो गया
मैं इंसान ही बन पाया , यही काफी है मेरे लिए
#सारस्वत
26112013

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