रविवार, 11 अक्तूबर 2015

याद आते हो ...

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यादसे याद नहीं कितना याद आते हो
भूलेसे भूला नहीं इतना याद आते हो

खोया रहता हूँ हर दम तेरे ख्यालों में
ढूंढा करता हूँ तुम को इन दलानों में
ना पूछ किस कदर तुझमें उलझा हूँ
तुम ही तुम रहती हो मेरे सवालों में
जब भी आते हो याद बहुत सताते हो
यादसे याद नहीं कितना याद आते हो
भूले से भूला नहीं  …
सर्द मौसम में खिले रूप के चश्में
तपती दुपहरी में चढ़ी धूप की रस्में
हाय !! चश्में बददूर तुम्हारी वो हसी
फ़िज़ा से खेलती हुई रेशम जुल्फें
हर एक रंग में खूब रंग ज़माते हो
यादसे याद नहीं कितना याद आते हो
भूलेसे भूला नहीं  …
भीगा रहता हूँ बेशरम प्यारी बारिश में
सरे पाँव रहता हूँ तर खुमारिश में
मनचला बनके फितूर जानेजाँ तेरे लिये
फिर से मचले है रोज़ ख्वाईश में
हर घडी हरेक पल तुम याद आते हो
यादसे याद नहीं कितना याद आते हो
भूलेसे भूला नहीं  …
#सारस्वत
11102015 

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