रविवार, 4 अक्तूबर 2015

सपना कोई आया

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आँख खुली तो याद आया
रात में सपना कोई आया

दिन गुजारा शागिर्दी में
दिल की  … बैठ कर
फिर जो तेरी याद आई
दिल धड़का  … मुस्कुराया

सूरते-हाल बाज़ार का
सुकून ना दे सका जरा
जो था नज़र की नज़र
नज़र को नज़र नहीं आया

बंद पलकों में भी
छेड़ा तूने तराना प्यार का
हाँ !! अख़बार की सुर्ख़ियों में
अक़्स नक़्श तेरा लहराया

‪#‎सारस्वत‬
04102015

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