बुधवार, 2 जुलाई 2014

ख़ामोशी















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ख़ामोशी में भी ख़ामोश , कहाँ रहती हैं ख़ामोशी
यादों की हो बरसात तो , शौर करती हैं ख़ामोशी

वो फुर्सत के लम्हों की , खुबसूरत प्यारी सी बातें
आज भी फुर्सत के पलों में , तोड़ देती हैं ख़ामोशी

वो बालों को सहलाना तेरा , वो प्यारा सा गीत गाना
हवा की हो सरसराहट तो ,  गुनगुनाती हैं ख़ामोशी

वो धीरे से मुस्कुराना तेरा , वो खुशबु सा महक जाना
और मचल कर लिपट जाना , याद दिलाती हैं ख़ामोशी
#सारस्वत
02072014

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